पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने मजदूर यूनियन के जरिए भारतीय राजनीति में अपनी जगह बनाई थी, जिनका 88 साल के उम्र में पिछले साल 29 जनवरी को निधन हो गया था. आपातकाल के दौरान जॉर्ज फर्नांडिस कभी मछुआरा तो कभी साधु का रूप धारण करके और कभी सिख बनकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के तानाशाही रवैए के खिलाफ आंदोलन को धार देते रहे. इसी के चलते वो इमरजेंसी के हीरो कहलाए.
आपातकाल के चलते ही फर्नांडिस ने हमेशा गांधी परिवार से नफरत की और जिंदगी भर कांग्रेस का विरोध करते रहे. फर्नांडिस ने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ही नहीं बल्कि कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी को लेकर भी वैसा ही रवैया अख्तियार कर रखा था. जॉर्ज को सोनिया के नाम तक से एलर्जी थी. वह अपने जीवन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कभी भी कांग्रेस के साथ नहीं खड़े हुए.
बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार 1999 में एक वोट से अल्पमत में आ गई थी, जिसके चलते वाजपेयी और आडवाणी के पैरों तले से सियासी जमीन खिसक गई थी. वहीं, सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति भवन जाकर सरकार बनाने का दावा ठोक दिया था. 146 सांसदों वाली कांग्रेस पार्टी की मुखिया ने कहा था कि हमारे पास बहुमत के लिए जरूरी 272 सांसदों का आकंड़ा है.