केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने चार निजी कंपनियों समेत 14 आरोपियों के खिलाफ सरकारी बैंकों को 3592.48 करोड़ रुपये की चपत लगाने के आरोप में केस दर्ज किया है. इस सिलसिले में सीबीआई ने 13 जगहों पर छापेमारी भी की. जिनके खिलाफ ये केस दर्ज हुए हैं उनमें बैंक डायरेक्टर, बैंक गारंटर, निजी कंपनियां और कुछ अज्ञात लोग शामिल हैं. जिन बैंकों को चपत लगाने का आरोप हैं उनमें बैंक ऑफ इंडिया के साथ ही 13 अन्य बैंक शामिल हैं.
सीबीआई ने यह कार्रवाई बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर की है. बैंक ने आरोप लगाया है कि आरोपी कंपनी कानपुर की है जिसका मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में रजिस्टर्ड दफ्तर है. यह कंपनी मर्चेंट ट्रेडिंग और तमाम वस्तुओं के आयात और निर्यात का काम करती है. इस कंपनी के सप्लायर और खरीदार चीन, बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, कंबोडिया, अमेरिका, सउदी अरब, स्विटजरलैंड और ताइवान आदि कई देशों में हैं.
आरोप है कि इस कंपनी ने बैंक ऑफ समेत 14 सरकारी बैंकों से संयुक्त रूप से करीब 4061.95 करोड़ रुपये की क्रेडिट सुविधा हासिल की थी. कंपनी ने अपने व्यवसाय से अलग बाहरी पक्षों को असुरक्षित ऋण बांटे और अग्रिम भुगतान देकर बैंकों के फंड को कथित तौर पर डायवर्ट कर दिया. कंपनी के बिक्री और खरीद की कीमतों में भिन्नताएं पाई गई हैं और कुछ गैर मर्चेंट ट्रेडिंग पार्टियों को भी भुगतान किया गया है जो कहीं पर भी मौजूद नहीं हैं.